Sunday, March 31, 2019

अप्रैल फूल

*अप्रैल फूल*


*ⓩ ये भी एक नहूसत है कि मुसलमान झूट बोलकर या धोखा देकर अपने भाई को बेवकूफ बनाता है और उसपे फख्र करता है कि मैंने फलां को बेवकूफ बनाया हालांकि झूट बोलना और धोखा देना दोनों ही हराम काम  है,मौला तआला इरशाद फरमाता है कि*

*कंज़ुल ईमान* - झूटों पर अल्लाह की लानत है

📕 पारा 3,सूरह आले इमरान,आयत 61

*कंज़ुल ईमान* - बेशक अल्लाह उसे राह नहीं देता जो हद से बढ़ने वाला बड़ा झूटा हो

📕 पारा 24,सूरह मोमिन,आयत 28

*कंज़ुल ईमान* - मर जाएं दिल से तराशने वाले (यानि झूट बोलने वाले)

📕 पारा 26,सूरह ज़ारियात,आयत 10

*कंज़ुल ईमान* - झूट और बोहतान वही बांधते हैं जो अल्लाह की आयतों पर ईमान नहीं रखते

📕 पारा 14,सूरह नहल,आयत 105

*ⓩ और वादे के ताल्लुक़ से अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त क़ुरान में इरशाद फरमाता है*

*कंज़ुल ईमान* - और वादा पूरा करो कि बेशक क़यामत के दिन वादे की पूछ होगी

📕 पारा 15,सूरह असरा,आयत 34

*कंज़ुल ईमान* - ऐ ईमान वालो वादों को पूरा करो

📕 सूरह मायदा,आयत 1

*ⓩ हदीसे पाक में मज़कूर है हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि*

*हदीस* - जिस के अन्दर ये बातें पायी जाए यानि जब बात करे तो झूट बोले वादा करे तो पूरा ना करे और अमानत रखी जाए तो उसमे खयानत करे तो वो खालिस मुनाफिक़ है अगर चे वो नमाज़ पढ़े रोज़ा रखे और मुसलमान होने का दावा करे

📕 मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 56

*हदीस* - बेशक झूट गुनाह की तरफ ले जाता है और गुनाह जहन्नम में

📕 बुखारी,जिल्द 2,सफह 900

*हदीस* - उस शख्स के लिए खराबी है जो किसी को हंसाने के लिए झूट बोले

📕 अत्तर्गीब वत्तर्हीब,जिल्द 3,सफह 599

*हदीस* - झूटा ख्वाब बयान करना सबसे बड़ा झूट है

📕 मुसनद अहमद,जिल्द 1,सफह 96

*हदीस* - मोमिन की फितरत में खयानत और झूट शामिल नहीं हो सकती

📕 इब्ने अदी,जिल्द 1,सफह 44

*हदीस* - झूटे के मुंह को लोहे की सलाखों से गर्दन तक फाड़ा जायेगा

📕 बुखारी,जिल्द 2,सफह 1044

*ⓩ ज़रा गौर कीजिये कि किस क़दर इताब की वईद आयी है झूट बोलने और धोखा देने के बारे में,हंसी मज़ाक करना या दिल बहलाना हरगिज़ गुनाह नहीं बस शर्त ये है कि झूट ना बोला जाए और किसी का दिल ना दुखाया जाए,इस्लाम में तफरीहात हरगिज़ मना नहीं बल्कि रसूल अल्लाह सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से साबित है,पढ़िए*

*हिकायत* - एक मर्तबा एक ज़ईफा बारगाहे नबवी में आईं और कहने लगी कि हुज़ूर मेरे लिए दुआ फरमा दें कि अल्लाह मुझे जन्नत में दाखिल करे,आप सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने उससे फरमाया कि कोई बुढ़िया जन्नत में  नहीं जाएगी,इस पर वो रोने लगी तो आपने मुस्कुराते हुए फरमाया कि ऐ अल्लाह की बन्दी मेरे कहने का ये मतलब है कि कोई बूढ़ी औरत जन्नत में नहीं जाएगी बल्कि हर बूढ़ी को जवान बनाकर जन्नत में भेजा जायेगा,तो वो खुश हो गयी इसी तरह एक सहाबी हाज़िर हुए और सवारी के लिए ऊंट मांगा तो आप फरमाते हैं कि मैं ऊंटनी का बच्चा दूंगा तो वो कहते हैं कि हुज़ूर मैं बच्चे पर सवारी कैसे करूंगा तो आप मुस्कुराकर फरमाते हैं कि ऊंट भी तो ऊंटनी का बच्चा ही होता है ऐसे ही कई सच्ची तफरीहात अम्बिया व औलिया व सालेहीन से मनक़ूल है

📕 रूहानी हिकायत,सफह 151

*हिकायत* - एक फक़ीह किसी के घर में किराए पर रहते थे,मकान बहुत पुराना और बोसीदा था अकसर दीवारों और छतों से चिड़चिड़ाने की आवाज़ आती रहती थी,एक दिन जब मकान मालिक किराया लेने के लिए आये तो फक़ीह साहब ने फरमाया कि पहले मकान तो दुरुस्त करवाइये तो कहने लगे कि अजी अल्लामा साहब आप बिल्कुल न डरें ये दीवार और छत तस्बीह करती रहती है उसकी आवाज़ें हैं,तो फक़ीह बोले कि तस्बीह तक तो गनीमत है लेकिन अगर किसी रोज़ आपकी दीवार और छत पर रिक़्क़त तारी हो गयी और वो सजदे में चली गयी तब क्या होगा

📕 मुस्ततरफ,सफह 238

*ⓩ कहने का मतलब सिर्फ इतना है की हंसी मज़ाक करिये बिल्कुल करिये मगर झूट ना बोलिये गाली गलौच ना कीजिये और ना किसी की दिल आज़ारी कीजिये,मौला से दुआ है कि हम सबको हक़ सुनने हक़ समझने और हक़ पर चलने की तौफीक अता फरमाये-आमीन*

झूठ बोलकर कीसी को न सताएं


Sunday, March 3, 2019

ઈમ્તેહાન કી દુઆ


HADEES


माहे रजबमें कारे खेर की फ़ज़ीलत


زبان


گوشت کا یہ لوتھڑا جب تک جبڑوں میں دبا رہتا ہے انسان کے عیب و ہنر بھی پوشیدہ رہتے ہیں زبان کھلتی ہے تو وجود انسان کی ترجمانی ہوتی ہے شیخ سعدی فرماتے ہیں کہ 
تا مرد سخن نہ گفتہ باشد 
عیب و ہنر نہفتہ باشد 
جب تک بندہ کلام نہیں کرتا اس کا اچھا یا برا ہونا معلوم نہیں ہوتا اس لیے زبان کی حفاظت کرنے اور جچی تلی گفتگو کرنے پر بہت زور دیا گیا ہے
ارشاد نبوی ھے جو اللہ تعالی اور آخرت کے دن پر ایمان رکھتا ہے اسے چاہیے کہ بھلائی کی بات کہے یا خاموش رہے