Wednesday, May 22, 2019

जंगे बद्र


"बद्र" मदिनए मुनव्वरह से तक़रीबन 80 मिल के फासिले पर एक गाउ का नाम है यहां एक कुआ भी था जिस के मालिक का नाम "बद्र" था उसी के नाम पर इस जगह का नाम "बद्र" रख दिया गया।

*अल्लाह तआला ने जंगे बद्र के दिन का नाम "यौमुल फ़ुरक़ान" रखा।* क़ुरआन की सूरए अनफाल में तफ़सील के साथ और दूसरी सूरतो में इजमाल बार बार इस मारीके का ज़िक्र फरमाया

*चुनान्चे 12 रमज़ान सी.2 ही.* को बड़ी उजलत के साथ लोग चल पड़े, जो जिस हाल में था उसी हाल में रवाना हो गया। इस लश्कर में हुज़ूर ﷺ के साथ न ज्यादा हथियार थे न फ़ौजी राशन की कोई बड़ी क़िक़दार थी, क्यू की किसी को गुमान भी न था की इस सफर में कोई बड़ी जंग होगी।

*17 रमज़ान सी.2 हि. जुमुआ की रात* थी तमाम फ़ौज तो आराम व चैन की नींद सो रही थी मगर एक सरवरे काएनात की ज़ात थी जो सारी रात खुदा वन्दे आलम से लौ लगाए दुआ में मसरूफ़ थी।

*कौन कब और कहा मरेगा* ये हूजुर ﷺ ने पेहले ही फ़रमा दिया था गैब की बातो का इल्म अल्लाह तआला ने अपने हबीब ﷺ को अता फ़रमाया था.

*कुरआन ऐलान कर रहा है* कि जो लोग बाहर लड़े उन में तुम्हारे लिये इबरत का निशान है एक खुदा की राह में लड़ रहा था और दूसरा मुन्किरे खुदा था. *पारह 3*

*अबू जहल ज़िल्लत के साथ मारा गया*

*फिरिश्तो की फ़ौज़* जंगे बद्र में अल्लाह तआला ने मुसलमानो की मदद के लिये आसमान से फिरिश्तो का लश्कर उतार दिया था। पहले 1000 फिरिश्ते आए फिर 3000 हो गए इसके बाद 5000 हो गए। कुरआन, सूरए आले इमरान व अनफाल

*इस जंग में कुफ़्फ़ार के 70 आदमी क़त्ल और 70 आदमी गिरफ्तार हुए।* बाक़ी अपना सामान छोड़ कर फरार हो गए इस जंग में कुफ़्फ़ारे मक्का को ऐसी ज़बर दस्त शिकस्त हुई कि उन की अस्करी ताक़त ही फना हो गई।

*जंगे बद्र में कुल 14 मुसलमान शहादत से सरफ़राज़ हुए जिन में से 6 मुहाजिर और 8 अन्सार थे।*

शोहदाए मुहाजिरिन के नाम ये है
1 हज़रते उबैदा बिन अल हारिष
2 हज़रते उमैर बिन अबी वक़्क़ास
3 हज़रते जुशशिमालैन बिन अब्दे अम्र
4 हज़रते आकिल बिन अबू बुकैर
5 हज़रते महजअ
6 हज़रते सफ्वान बिन बैज़ा

*अन्सार के नामो की फेहरिस्त ये है*
7 हज़रते साद बिन खैषमा
8 हज़रते मुबशशिर बिन अब्दुल मुन्ज़िर
9 हज़रते हारिषा बिन सुरक़ा
10 हज़रते मुअव्वज़ बिन अफराअ
11 हज़रते उमैर बिन हमाम
12 हज़रते राफेअ बिन मुअल्ला
13 हज़रते औफ़ बिन अफ़रा
14 हज़रते यज़ीद बिन हारिष।

*मदीने को वापसी* फ़त्ह के बाद 3 दिन तक हुज़ूर ﷺ ने बद्र में क़याम किया फिर तमाम अम्वाले गनीमत और कुफ़्फ़ार क़ैदियों को साथ ले कर रवाना हुए। जब वादिये सफरा में पहुचे तो अम्वाले गनीमत को मुजाहिदीन के दरमियान तक़्सीम फ़रमाया।

*सिरते मुस्तफा, सफह (211 से 236)*

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