Friday, April 26, 2019

मालो मताअ

देहात में रहने वाले लोग ये बात जानते हैं कि देहातों में एक कीड़ा पाया जाता है।
जिसे गोबर का कीड़ा कहते हैं, जिसे गाय, भैंस के गोबर की बू बहुत पसंद होती है।
ये कीड़ा सुबह उठकर गोबर की तलाश में निकलता है और सारा दिन जहाँ से गोबर मिले उसका गोला बनाता रहता है और शाम होने तक अच्छा ख़ासा गोबर का गोला बना लेता है।
फिर इस गोबर के गोले को धक्का मारते हुवे अपने बील तक ले जाता है। बील पर पहुंचकर उसे अहसास हो जाता है के गोला तो बड़ा बना लिया लेकिन बिल का सुराख छोटा है।
बुहत कोशिश के बावजूद वो गोला बिल में नहीं जा सकता।

सारी ज़िन्दगी दुनिया का माल ओ मताअ हलाल ओ हराम की तमीज़ किये बगैर इंसान जमा करने में लगा रहेता हैं।
जब आखिरी वक़्त करीब आता है तब पता चलता है के,
ये सब तो क़ब्र में साथ नहीं जा सकता और इंसान अपनी ज़िन्दगी भर की कमाई को हसरत से देखता रह जाता है।

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