Saturday, August 29, 2020
उलमाए इस्लाम ने आशूरा की क्या खुससियत बयान फरमाई है ?
उलमाए इस्लाम ने आशूरा की क्या खुससियत बयान फरमाई है ?
जवाबः-* आशूरा की पचीस खुसूसियत
👉🏻 (1) 10 मुहर्रमुल हराम आशुरा के रोज हज़रत सय्यिदुना आदम अलैहिस्सलाम की तौबा कबूल हुई
👉🏻 (2) उसी दिन उन्हें पैदा किया गया
👉🏻 (3) उसी दिन उन्हें जन्नत में दाखिल किया गया
👉🏻 (4) उसी दिन अर्श
👉🏻 (5) कुर्सी
👉🏻 (6) आस्मान
👉🏻 (7) जमीन
👉🏻 (8) सूरज
👉🏻 (9) चांद
👉🏻 (10) सितारे और
👉🏻 (11) जन्नत पैदा किए गए
👉🏻 (12) उसी दिन हजरत सय्यिदुना इब्राहीम खलीलुल्लाह अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम पैदा हुए
👉🏻 (13) उसी दिन उन्हें आग से निजात मिली
👉🏻 (14) उसी दिन मूसा अलैहिस्सलाम और आप की उम्मत को निजात मिली और फिरऔन अपनी कौग समेत गर्क हुआ
👉🏻 (15) उसी दिन हजरत ईसा अलैहिस्सलाम पैदा किए गए
👉🏻 ( 6) उसी दिन उन्हें आस्मानों की तरफ उठाया गया
👉🏻 (17) उसी दिन नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती जुदी पहाड़ पर ठेहरी
👉🏻 (18) उसी दिन सुलैमान अलैहिस्सलाम को मुल्के अजीम अता किया गया
👉🏻 (19) उसी दिन हजरत सय्यिदुन यूनुस अलैहिमुस्सलाम मछली के पेट से निकाले गए
👉🏻 (20) उसी दिन हज़रत सय्यिदुना याकूब अलैहिमुस्सलातो वस्सलाम की बीनाई की कमज़ोरी दूर हो गई
👉🏻 (21) उसी दिन हजरत सय्यदुना यूसुफ अलैहिमुस्सलातो वस्सलाम गहरे कुंए से निकाले गए
👉🏻 (22) उसी दिन हजरत अय्यूब अलैहिमुस्सलातो वस्सलाम की तकलीफ रफअ (दूर) की गई
👉🏻 (23) आस्मान से जमीन पर सबसे पहली बारिश इसी दिन नाजिल हुई और
👉🏻 (24) उसी दिन का रोजा उम्मतों में मशहूर था यहां तक कि यह भी कहा गया कि उस दिन का रोजा माहे रमजानुल मुबारक से पहले फर्ज़ था फिर मन्सूख कर दिया गया
*📕 (मुकाशिफतुल कुलूब सफा 311)*
👉🏻 (25) इमामुल हुमाम इमामे आली मुकाम इमामे अर्श मुकाम इमामे तिश्नए काम सय्यिदुना इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हो को ब मअ शहजादगान व रुफकाअ तीन दिन भूका रखने के बाद उसी आशूरा के रोज़ दश्ते करबला में इन्तेहाई सफ्फाकी के साथ शहीद किया गया।
*📕 (फैजाने रमज़ान सफा 509,510)*
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Friday, August 28, 2020
सूफी की तारीफ
सूफी की तारीफ
हज़रत दाता गंज बख्श رحمتہ اللہ علیہ शाम के वक़्त आम मुरीदों के लिए दर्सो तदरीस का एहतिमाम करते थे- लोग आते थे सवाल करते थे और इल्म की प्यास बुझाते थे- आप एक रोज़ मुरीदों के दरमियान बैठे थे,लाहौर का एक मुरीद आया और आपसे पूछा:
"हुज़ूर अल्लाह की बारगाह में अफज़ल तरीन इबादत क्या है-"
हज़रत दाता साहब ने मुस्कुरा कर देखा और फरमाया:
"खैरात"
उस शख्स ने दोबारा अर्ज़ किया:
"और अफज़ल तरीन ख़ैरात क्या है?"
आप رحمتہ اللہ علیہ ने फ़रमाया:
"मुआफ कर देना-"
फिर आप رحمتہ اللہ علیہ चंद लम्हे रुक कर यूं गोया हुए:
"दिल से मुआफ कर देना दुनियां की सबसे बड़ी ख़ैरात है और अल्लाह को ये ख़ैरात सबसे ज़्यादा पसंद है- आप दूसरों को मुआफ करते चले जाओ, अल्लाह आपके दर्जे बलंद करता चला जाएगा-"
आप رحمتہ اللہ علیہ फरमाते:
"तसव्वुफ की दर्सगाह में सूफी उस वक़्त सूफी बनता है जब उसका दिल नफरत, गुस्से और इंतिक़ाम के ज़हर से पाक हो जाता है और वो मुआफी के साबुन से अपने दिल की सारी कदूरतें धो लेता है-"
अहले तसव्वुफ यहां तक कहते हैं कि क़ातिल को सूफी का खून तक मुआफ होता है और ये मुआफी की वो ख़ैरात है जो सूफिया ए किराम दे देकर बलंद से बलंदतर होते चले जाते हैं-उनके दर्जे बढ़ते चले जाते हैं..!!!
अल्लाह पाक हम सबको नेक राह पर चलने की तौफीक अता फरमाए आमीन
Tuesday, August 25, 2020
Monday, August 24, 2020
Saturday, August 22, 2020
Friday, August 21, 2020
Thursday, August 20, 2020
Wednesday, August 19, 2020
Wednesday, August 12, 2020
واہ کیا جود و کرم ہے شہ بطحی تیراکوئی دنیائے عطا میں نہیں ہمتا تیرا
واہ کیا جود و کرم ہے شہ بطحی تیرا
کوئی دنیائے عطا میں نہیں ہمتا تیرا
ہو جو حاتم کو میسر یہ نظارا تیرا
کہہ اٹھے دیکھ کے بخشش میں یہ رتبہ تیرا
واہ کیا جود و کرم ہے شہ بطحٰی تیرا
نہیں سنتا ہی نہیں مانگنے والا تیرا
کچھ بشر ہونے کے ناتے تجھے خود سا جانیں
اور کچھ محض پیامی ہی خدا کا جانیں
اِن کی اوقات ہی کیا ہے کہ یہ اتنا جانیں
فرش والے تری عظمت کا علو کیا جانیں
خسروا عرش پہ اڑتا ہے پھریرا تیرا
جو تصور میں ترا پیکر زیبا دیکھیں
روئے والشمس تکیں ، مطلع سیما دیکھیں
کیوں بھلا اب وہ کسی اور کا چہرا دیکھیں
تیرے قدموں میں جو ہیں غیر کا منہ کیا دیکھیں
کون نظروں پہ چڑھے دیکھ کے تلوا تیرا
مجھ سے ناچیز پہ ہے تیری عنایت کتنی
تو نے ہر گام پہ کی میری حمایت کتنی
کیا بتاوں تری رحمت میں ہے وسعت کتنی
ایک میں کیا مرے عصیاں کی حقیقت کتنی
مجھ سے سو لاکھ کو کافی ہے اشارہ تیرا
کئی پشتوں سے غلامی کا یہ رشتہ ہے بحال
یہیں طفلی و جوانی کے بِتائے مہہ و سال
اب بوڑھاپے میں خدارا ہمیں یوں در سے نہ ٹال
تیرے ٹکڑوں پہ پلے غیر کی ٹھوکر پہ نہ ڈال
جھڑکیاں کھائیں کہاں چھوڑ کے صدقہ تیرا
غمِ دوراں سے گھبرائیے ، کس سے کہیے
اپنی الجھن کسے بتلائیے ، کس سے کہیے
چیر کر دل کسے دکھلائیے ، کس سے کہیے
کس کا منہ تکیے ، کہاں جائیے ، کس سے کہیے
تیرے ہی قدموں پہ مٹ جائے یہ پالا تیرا
نذرِ عشاقِ نبی ہے یہ مرا حرفِ غریب
منبرِ وعظ پر لڑتے رہیں آپس میں خطیب
یہ عقیدہ رہے اللہ کرے مجھ کو نصیب
میں تو مالک ہی کہوں گا کہ ہو مالک کے حبیب
یعنی محبوب و محب میں نہیں میرا تیرا
خوگرِ قربت و دیدار پہ کیسی گزرے
کیا خبر اس کے دلِ زار پہ کیسی گزرے
ہجر میں اس ترے بیمار پہ کیسی گزرے
دور کیا جانیے بدکار پہ کیسی گزرے
تیرے ہی در پہ مرے بیکس و تنہا تیرا
تجھ سے ہر چند وہ ہیں قدر و فضائل میں رفیع
کر نصیر آج مگر فکرِ رضا کی توسیع
پاس ہے اس کے شفاعت کا وسیلہ بھی وقیع
تیری سرکار میں لاتا ہے رضا اس کو شفیع
جو مرا غوث ہے اور لاڈلا بیٹا تیرا
تضمینِ نصیرؔؒ بر کلامء مولیٰنا احمد رضا خاں بریلویؒ
از علّامۂ دوراں شاعرِ ہفت زباں، قبلہ پِیر سیّد نصیرالدین نصیرؔ جیلانیؒ رحمتہ اللہ تعالیٰ علیہ گولڑہ شریف
Sunday, August 9, 2020
Saturday, August 8, 2020
Friday, August 7, 2020
Mere janaze pe rone walo
SUKOON PAAYA HAI BEKASI NAAY HUDOOD GHAM SE NIKAL GAYA HON
KHYALِ E HAZRAT JAB AA GAYA HAI TO GIRTAY GIRTAY SAMBHAL GAYA HON
KABHI MEIN SUBH-E AZAL GAYA HON KABHI MEIN SHAMِ ABAD GAYA HON
TALASHE JAANAAN MEIN KITNI MANZIL KHUDA HI JANE NIKAL GAYA HON
HARAM KI TAPTI HUI ZAMEE PAR JIGAR BICHENAY KI ARZOO THI
BAHAR E KHULDE BARIN MILI TO BACHA KE DAMAN NIKAL GAYA HON
MARAY JANAZAY PAY RONAY WALO FRAIB MEIN HO BAGHORE DEKHO
MRA NAHI HON GHAM E NABI MEIN LIBAAS HASTI BADAL GAYA HON
YEH SHAAN MERI YEH MERI QISMAT KHOSHA MOHABBAT ZAHE AQEEDAT
ZUBA PAY ATAY HI NAAM NAMI ADAB KE SANCHAY MEIN DHAL GAYA HON
BA FAIZE HASSAN IBN-E SAABIT BARANG NAAT E NABI E AKRAM
QAMAR MEIN SHAIR O SUKHAN KI LAI MEIN ADAB KE MOTI UGAL GAYA HON
Thursday, August 6, 2020
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روایت میں ہے کہ حضرت شیخ احمد زندہ علیہ الرحمہ شیر پر سواری کیا کرتے تھے اور جب اولیاء کرام کے پاس جاتے ان کے مہمان بنتے تو آپ کے شیر ک...
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"बद्र" मदिनए मुनव्वरह से तक़रीबन 80 मिल के फासिले पर एक गाउ का नाम है यहां एक कुआ भी था जिस के मालिक का नाम "बद्र" था...