उलमाए इस्लाम ने आशूरा की क्या खुससियत बयान फरमाई है ?
जवाबः-* आशूरा की पचीस खुसूसियत
👉🏻 (1) 10 मुहर्रमुल हराम आशुरा के रोज हज़रत सय्यिदुना आदम अलैहिस्सलाम की तौबा कबूल हुई
👉🏻 (2) उसी दिन उन्हें पैदा किया गया
👉🏻 (3) उसी दिन उन्हें जन्नत में दाखिल किया गया
👉🏻 (4) उसी दिन अर्श
👉🏻 (5) कुर्सी
👉🏻 (6) आस्मान
👉🏻 (7) जमीन
👉🏻 (8) सूरज
👉🏻 (9) चांद
👉🏻 (10) सितारे और
👉🏻 (11) जन्नत पैदा किए गए
👉🏻 (12) उसी दिन हजरत सय्यिदुना इब्राहीम खलीलुल्लाह अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम पैदा हुए
👉🏻 (13) उसी दिन उन्हें आग से निजात मिली
👉🏻 (14) उसी दिन मूसा अलैहिस्सलाम और आप की उम्मत को निजात मिली और फिरऔन अपनी कौग समेत गर्क हुआ
👉🏻 (15) उसी दिन हजरत ईसा अलैहिस्सलाम पैदा किए गए
👉🏻 ( 6) उसी दिन उन्हें आस्मानों की तरफ उठाया गया
👉🏻 (17) उसी दिन नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती जुदी पहाड़ पर ठेहरी
👉🏻 (18) उसी दिन सुलैमान अलैहिस्सलाम को मुल्के अजीम अता किया गया
👉🏻 (19) उसी दिन हजरत सय्यिदुन यूनुस अलैहिमुस्सलाम मछली के पेट से निकाले गए
👉🏻 (20) उसी दिन हज़रत सय्यिदुना याकूब अलैहिमुस्सलातो वस्सलाम की बीनाई की कमज़ोरी दूर हो गई
👉🏻 (21) उसी दिन हजरत सय्यदुना यूसुफ अलैहिमुस्सलातो वस्सलाम गहरे कुंए से निकाले गए
👉🏻 (22) उसी दिन हजरत अय्यूब अलैहिमुस्सलातो वस्सलाम की तकलीफ रफअ (दूर) की गई
👉🏻 (23) आस्मान से जमीन पर सबसे पहली बारिश इसी दिन नाजिल हुई और
👉🏻 (24) उसी दिन का रोजा उम्मतों में मशहूर था यहां तक कि यह भी कहा गया कि उस दिन का रोजा माहे रमजानुल मुबारक से पहले फर्ज़ था फिर मन्सूख कर दिया गया
*📕 (मुकाशिफतुल कुलूब सफा 311)*
👉🏻 (25) इमामुल हुमाम इमामे आली मुकाम इमामे अर्श मुकाम इमामे तिश्नए काम सय्यिदुना इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हो को ब मअ शहजादगान व रुफकाअ तीन दिन भूका रखने के बाद उसी आशूरा के रोज़ दश्ते करबला में इन्तेहाई सफ्फाकी के साथ शहीद किया गया।
*📕 (फैजाने रमज़ान सफा 509,510)*
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