आजकल ज़्यादा तर देखा गया है कि मय्यत के तदफ़ीन के बाद, फौरन सारे लोग यहां तक मय्यत के घर वाले भी क़ब्रिस्तान से चले आते हैं जबकि मय्यत के तदफ़ीन के बाद क़ब्र पर इतनी देर तक ठहरना मुस्तहब है जितनी देर में एक ऊंट ज़िबह कर के उसका गोश्त तक़सीम कर दिया जाए।
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