दिन और दुनिया में कामयाबी और आखिरत में नजात का पहला कदम और आखरी सहारा तौबा इस्तेगफार है क्योंकि उसके सिवा कोई चारा नहीं कि इंसान अल्लाह के हुजूर अपने गुनाहों कोताहीयों और नाफरमानी पर माफी मांगता रहे और उसकी मगफिरत तलब करता रहे क्योंकि गुनाह व नाफरमानी उनको दुनिया और आखिरत में हिलाकत ओर तबाही की तरफ ले जाती हैं उसके खिलाफ तौबा और इस्तिगफार इताअत की तरफ ले जाते हैं और तर्के गुनाह की तरगिब देती हैं जो क़ुर्बे इलाही का बाइस बन जाती है,लिहाजा हर मुसलमान को चाहिए कि वह कसरत से रब की बारगाह में तौबा और इस्तिगफार करें और हमेशा रब की रहमत के उम्मीदवार हो!
Friday, March 27, 2020
तौबा ओर इस्तीगफार
दिन और दुनिया में कामयाबी और आखिरत में नजात का पहला कदम और आखरी सहारा तौबा इस्तेगफार है क्योंकि उसके सिवा कोई चारा नहीं कि इंसान अल्लाह के हुजूर अपने गुनाहों कोताहीयों और नाफरमानी पर माफी मांगता रहे और उसकी मगफिरत तलब करता रहे क्योंकि गुनाह व नाफरमानी उनको दुनिया और आखिरत में हिलाकत ओर तबाही की तरफ ले जाती हैं उसके खिलाफ तौबा और इस्तिगफार इताअत की तरफ ले जाते हैं और तर्के गुनाह की तरगिब देती हैं जो क़ुर्बे इलाही का बाइस बन जाती है,लिहाजा हर मुसलमान को चाहिए कि वह कसरत से रब की बारगाह में तौबा और इस्तिगफार करें और हमेशा रब की रहमत के उम्मीदवार हो!
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