शबे क़द्र ये रात दुआ की क़बूलीयत की रात हे अपने लिये दोस्तो अहबाब के लिये वालिदेन के लीये और तमाम गुजरे हुवे लोगों के लिये मग़फिरत की दुआ करनी चाहिये। हज़रत सूफियान सौरी के नज़दीक इस रात में दुआ में मशगुल होना सब से बेहतर हे।दुआओं में सब से बेहतर वो दुआ हे जो हज़रत आयशा से मनकुल हे
اللّٰھُمَّ إِ نَّکَ عَفُوٌّ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّیْ‘‘ (ترمذی رقم ۳۸۲۲)
ऐ अल्लाह तु माफ करनेवाला हे और माफ करने को पसन्द करता हे तो मुझे भी माफ फरमा दे.
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