Thursday, April 29, 2021

Monday, April 12, 2021

जिसने रमजान के रोजे रखे उसके बाद शव्वाल के रोजे रखे तो वह ऐसा है गोया उसने साल भर के रोजे रखे हो


 

जो शख्स ईद उल फितर और ईद-उल-अजहा की रातों को इबादत की नियत से कयाम करता हे उसका दिल उस दिन भी फौट नहीं होगा जिस दिन लोगों के दिल फौट हो जाएंगे।


 

नबी ऐ पाक ﷺ ने सदक ऐ फ़ित्र रोज़ेदार को लगव और बेहूदा बातों से पाक करने के लिए और मिसकीनों के खाने के लिए फर्ज किया है।


 

रमजान उल मुबारक में उमरा करने का सवाब हज के बराबर है


 

नबी ए पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रमजान के आखिरी अशरे का ऐतिकाफ फरमाया करते थे।


 

शबे कद्र को रमजान के आखिरी अशरे में तलाश करो।


 

हज़रत आयशा ने अर्ज़ किया के अगर मुझे मालूम हो जाए कि शबे क़द्र कौन सी रात है तो उसमें मैं क्या पढ़ूँ तो नबी ﷺ ने इरशाद फरमाया ऐ अल्लाह बेशक तू माफ करने वाला और करम करने वाला है और माफी को पसंद करता है तो मेरे गुनाह भी माफ फरमा दे।


 

जिस शख्स ने इस रात(शबे क़द्र) में ईमान और इखलास के साथ शबबेदारी की तो उसके पिछले गुनाह बख्श दिये जाते हैं।


 

जिस शख्स ने नफल अमल किया वह उस शख्स की तरह जिसने दूसरे महीने में एक फर्ज अदा किया और जिस शख्स ने एक फर्ज अदा किया वह उस शख्स की तरह है जिसने दूसरे महीनों में 70 फराइज अदा किये।


 

रहमत का अशरा ,मगफिरत का अशरा ,जहन्नम से आज़ादी का अशरा


 

रोजादार के लिए दो खुशियां हैं एक जिस वक्त वह इफ्तार करता है और दूसरी खुशी उस वक्त जब वह अपने रब से मुलाकात करेगा।


 

लोग हमेशा भलाई के साथ रहेंगे जब तक रोजा जल्द इफ्तार करते रहेंगे।


 

जो शख़्स रमज़ान में दस दिन का ऐतिकाफ करता हे उसका सवाब दो हज और दो उमरा के बराबर हे।


 

Sunday, April 11, 2021

नया चांद देखने पर यह दुआ पढ़ना मसनून है

जिस व्यक्ति ने (रोज़े की हालत में) झूठ बोलना और उस पर अमल करना न छोड़ा, तो अल्लाह को इसकी कुछ आवश्यकता नहीं कि वह (रोज़ा रखकर) अपना खाना- पीना छोड़ दे।’

जिस ने किसी रोजेदार को इफ्तार कराया उसके लिए उसी के मिस्ल सवाब है। इसके बगैर कि रोजेदार के सवाब में कुछ कमी हो।

कयामत के दिन रोजे और कुरआन बंदे की शफाअत करेंगे, रोजे अर्ज करेंगे कि ऐ अल्लाह मैंने इसको दिन में खाने और शहवत से रोका। इसलिए तू इसके लिए मेरी शफाअत कुबूल फरमा और कुरआन कहेगा कि मैंने इसे रात में सोने से रोका। लिहाजा इसके हक में मेरी शफाअत कुबूल फरमा ले पस दोनों की शफाअत कुबूल होगी।

रोजा ढाल हे और जहन्नम से बचाव का मजबूत क़िल्आ हे।


उस जात की क़सम जिसके हाथ में मेरी जान है रोजेदार के मुँह की बु अल्लाह के नज़दीक मुस्क से भी ज्यादा बेहतर और पसंदीदा हे।

पिछले गुनाह माफ

रोजा अल्लाह के लिये हे

मोमिन की बेहतरीन सेहरी खुजुर हे।

जिस ने अल्लाह की राह में एक दिन का रोजा रखा।

बेशक अल्लाह उसके फरिश्ते रहमत भेजते हें सेहरी करने वालों पर

सहरी किया करो यकीनन सहरी में बरकत है ,बुखारी शरीफ

जब रमजान का महीना आता है तो जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और शयातीन को कैद कर दिया जाता है,मुस्लिम शरीफ




 

चांद की रूयत की बुनियाद पर रोजा रखो और चांद की रुयत की बुनियाद पर इफ्तार करो और जब चांद पोशीदा हो जाए तो महीने के 30 दिन पूरे कर लो


पांच नमाज और जुम्मा आने वाले जुम्मा तक माहे रमजान दूसरे रमजान तक गुनाहों का कफफारा है इस शर्त पर के कबीरा गुनाहों का इरतिकाब न किया जाए।

जिसने शक वाले दिन रोजा रखा उसने अबुल कासिम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की नाफरमानी की। (शक)से मुराद 30 शाबान हे बादल की वजह से 29 शाबान को चांद नजर नहीं आया तो कोई शख़्स ये समझ कर रोजा रख ले के पता नहीं ये शाबान का 30 वा दिन हे या रमज़ान का 1,कहीं ये रमज़ान ही न हो। इस तरह शक वाले दिन रोजा रखना सही नहीं हे।

इस्लाम की बुनियाद पांच चीजों पर है

तुम्हारे पास एक बा बरकत महीना आया है