Thursday, November 28, 2019

मदीने के वासिफ नबी ओर वली हे


मदीने के वासीफ़ नबी और वली है
जहां के हैं जाइर फकीरो गनी है

सलामो का नगमा जहां गूंजे हर आन
वह जन्नत की क्यारी नबी की गली है

शरफ़ जिस को हासिल हुआ है शिफा का
मुकद्दस वो खाके मदीना बनी है

जमीं को जो निस्बत हुई मुस्तफा से
वो दुनिया में जन्नत की क्यारी बनी है

दरे मुस्तफा पे जो मुजरिम है आया
स्याही गुनाहों की उससे झड़ी है

वो रहमत के बादल मदीने में बरसे
दुआ अर्शने जब नबी की सुनी है

सलामों का तोहफा दुरूदों का नगमा
के लेकर क़तारें मलक की लगी है

है जात उनकी कासिम ये फरमान उनका
अता ए इलाही का जो दर बनी है

न होगा कोई मुझसे बढ़कर भी आसी
शफाअत कि तुझसे तवकको लगी है

मदीने में चलना अदब से ए इमरान
जहां पर मलाइक की आमद लगी है

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