*एक फ़क़ीर से मुलाक़ात हुई, तो मैंने गुज़ारिश की .. .... जिंदगी की कोई नसीहत दीजिये मुझे....*
*उन्होंने सवाल किया, कभी बर्तन धोये हैं ?*
*मैने हैरान होकर कहा, ....... जी धोये हैं।*
*पुछा,....क्या सीखा ?*
*मैंने कोई जवाब नही दिया...*
*वो मुस्कुराये और कहा.........*
*"बर्तन को बाहर से कम और*
*अंदर से ज्यादा धोना पड़ता है.......*
*बस यही जिंदगी है।*
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