यह बात सही और दुरुस्त है कि शरीयत के मामला में नेक नियति को बड़ा दखल है अमल का दारोमदार नियत पर है लेकिन यह भी याद रहे कि जिस काम के लिए नेक नीयत की जा रही है वह काम भी शरीयत के मुताबिक हो लिहाजा अगर कोई शख्स इस नियत के साथ रिश्वत सूद जुवा और हराम खेलें के रुपिया कमाकर मस्जिद मदरसा वगैरह तामीर करेगा तो नीयत की यह पाकीज़गी की उस हराम को हलाल नहीं बनाएगी क्योंकि अल्लाह तआला पाक है और पाक चीज़ ही कबूल करता है
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